शीत युद्ध के बाद भारत की नीति
सोवियत संघ के विघटन के बाद विश्व में एक ही महाशक्ति रह गई थी और वह है-अमेरिका । शीत युद्ध समाप्त हो चुका था। ऐसे में भारतीय विदेश नीति में मूलभूत बदलाव हुए। पहले भारत की नीति दोनों गुटों में से किसी भी गुट में शामिल न होने देने की थी। आज भारत की विदेश व सुरक्षा नीति अधिक यथार्थवादी और भारत के मुख्य हितों को साधने वाली है। इस दिशा में भारत के नीतिकारों ने दक्षता से कदम उठाये। उन्होंने अमेरिका से रिश्ते बेहतर किये हैं। चीन के साथ तनाव कम किया है तथा उपेक्षित दक्षिण-पूर्वी देशों की ओर रुख किया है। भारत के परमाणु व प्रक्षेपात्र कार्यक्रमों को तेजी से आगे बढ़ाया गया है। 1991 के वित्तीय संकट से सीख लेते हुए घरेलू व आर्थिक नीतियों को यथार्थवादी रूप दिया गया है। इन बदलावों से देश उभरती हुई वैश्विक व्यवस्था में अप्रासंगिक होने से बच गया। किन्तु इन सुधारों के बावजूद भारत के सामने कई चुनौतियाँ हैं । एशिया व अन्य क्षेत्रों में चीन की आर्थिक व सैन्य शक्ति लगातार मजबूत हो रही है। चीन एवं पाकिस्तान से निपटने के लिए भारत को अपनी रणनीति तय करनी पड़ेगी। कश्मीर में शांति बहाल करना, अमेरिका के साथ मित्रता के रिश्ते को संभालने के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर भारत को अमेरिका व यूरोपीय देशों के साथ मिलकर विश्व-पर्यावरण में बदलाव, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई, और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार-व्यवस्था जैसे मुद्दों पर कार्य करना पड़ेगा। इन उद्देश्यों की पूर्ति हेतु भारत के मानव पूंजी निवेश की आवश्यकता है। लंबे समय तक भारत के विदेश और सुरक्षा नीतिकार चुनौतियों का सामना करने के लिए केवल नौकर शाही विशेषज्ञता पर निर्भर रहे, लेकिन अब इन सब के अलावा रक्षा एवं विदेश नीति के विशेषज्ञों की भूमिका भी अहम है। भविष्य में आने वाले मुद्दों का मुकाबला विभिन्न विषयों के योग्य जानकारों के बगैर कठिन होगा। अतः देश को बेहतर अध्ययन कार्यक्रमों और अंतर्राष्ट्रीय व कूटनीतिक अध्ययन के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों का विकास करने तथा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एवं अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में कार्यक्रमों को मजबूत बनाने की जरूरत है। नीतिकारों को इन लक्ष्यों को पाने के लिए राष्ट्रीय सहमति बनाने के प्रयास करने चाहिए । राष्ट्रीय सहमति के बिना देश विचारधारा ने पर आधारित अपनी पुरानी नीतियों पर लौट सकता है। शीत युद्ध की समाप्ति के बाद ठोस नीतियों के चुनावभारत को क्षेत्रीय व वैश्विक मामलों में अभूतपूर्व स्थान दिया है। अब भारत को अपनी मजबूत स्थिति बनाए रखनी चाहिए।
Inflation surged more.
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