पर्यटन का महत्व
आदिमानव यदि टिक कर एक ही स्थान पर रहता तो क्या दुनिया विकसित हो पाती। एक स्थान पर टिक न रहने के कारण ही मानव को “घुमक्कड़" कहा गया है। महापंडित राहुल सांस्कृतायन का कहना है- “घुमक्कड़ दुनिया की सर्वश्रेष्ठ विभूति हैं इसलिए कि उसी ने आज की दुनिया को बनाया है। यदि घुमक्कड़ों के काफिले न आते-जाते तो सुस्त मानव-जातियाँ सो जाती और पशु स्तर से ऊपर नहीं उठ पातीं।" मानव अपनी जिज्ञासु प्रवृत्ति के कारण दूसरे देशों या अलग-अलग स्थानों की यात्रा करना चाहता है। उसे दूसरे देशों की संस्कृति, सभ्यता, प्राकृतिक सौंदर्य, ऐतिहासिक जानकारी के विषय में जानने की इच्छा होती है। इसी कारण वह अपना सुख-चैन छोड़कर अनजान, दुर्गम व बीहड़ रास्तों पर घूमता रहता है। आधुनिक युग में इंटरनेट के माध्यम से तथा पुस्तकों की सहायता से वह नये-नये स्थानों की जानकारी प्राप्त करता रहता है, किन्तु यह सब कागज के फूल की तरह होते हैं। “घुमक्कड़ी" का आधुनिक रूप पर्यटन बन गया है। पहले संचार व यातायात के साधनों के अभाव एवं विकसित न होने के कारण "घुमक्कड़ी" कष्टसाध्य थी। संसाधन भी कम थे, पर्यटन स्थल पर सुविधाओं का विकास भी कम हुआ था। किन्तु मानव को तीक्ष्ण बुद्धि और विज्ञान का प्रताप है कि अब पर्यटन का क्षेत्र सुविधाजनक हो गया है। आधुनिक युग में पर्यटन के लिए मनुष्य में बाहर घूमने का उत्साह, और जोखिम उठाने की तत्परता होनी चाहिए, शेष सुविधाएँ उन्हें विज्ञान प्रदान कर देता है। 20 वीं सदी से पर्यटन एक उद्योग के रूप में विकसित हो गया है। विश्व के लगभग सभी देशों में पर्यटन मंत्रालय बनाए गये हैं। प्रत्येक देश अपने ऐतिहासिक स्थलों, अद्भुत भौगोलिक स्थलों को सजा-संवारकर दुनिया के सामने प्रस्तुत करना चाहता है। मनोरम पहाड़ियों पर पर्यटक आवास स्थापित किये जा रहे हैं। पर्यटकों के लिए आवास, भोजन, मनोरंजन आदि की व्यवस्था के लिए नये-नये होटलों, लाजों एवं पर्यटन गृहों का निर्माण किया जा रहा है। यातायात के सभी प्रकार के सुलभ व आवश्यक साधनों की व्यवस्था की जा रही है। पर्यटन आज लाभ देने वाला व्यवसाय बन गया है। पर्यटन के लिए रंग-बिरंगी पुस्तिकाएँ, आकर्षक पोस्टर, पर्यटन स्थलों के रंगीन चित्र, आवास, यातायात आदि सुविधाओं का विस्तृत ब्योरा लगभग सभी प्रमुख सार्वजनिक स्थलों पर मिलता है।पर्यटन के प्रति रुचि जागृत करने के लिए लघु फिल्में भी तैयार की जाती हैं। कई पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए आकर्षक संगीत, नृत्य, नाटक आदि का आयोजन किया जाता है-
पर्यटन के अनेक लाभ हैं। जैसे आनंद की प्राप्ति, जिज्ञासापूर्ति, आदि। इन सबके अतिरिक्त पर्यटन से अंतर्राष्ट्रीय समझ पैदा होती है। मनुष्य का दृष्टिकोण विकसित एवं विस्तृत होता है। प्रेम, सौहाद्र और आपसी भाईचारे का प्रसार होता है। सभ्यता एवं संस्कृतियों का आदान-प्रदान होता है। पर्यटन के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय भावना को बढ़ावा मिलता है। मनुष्य के जीवन से एकरसता मिटती है और व्यक्ति को यथार्थ जीवन का आभास होता है।