मानसिक तनाव- आधुनिक जीवन शैली की देन mansik tanav aadhunik jivan shaili ki den

 

 

मानसिक तनाव- आधुनिक जीवन शैली की देन


तनाव एक मानसिक प्रक्रिया है यह सभी के दिमाग में हमेशा उपस्थित रहता है। हमारे जीवन में घटने वाली घटनाएँ कभी भी तनाव का कारण नहीं होती, मनुष्य उसे किस रूप में समझता है या उससे कितना प्रभावित होता है यह उस पर निर्भर करता है। आज मनुष्य उत्तरोत्तर उन्नति करते हुए उच्चतम् शिखर पर पहुँच रहा है, किन्तु उसकी लालसा कभी कम नहीं होती परिणामत: जन्म होता है-तनाव का । तनाव एक बहती नदी के समान होता है। मनुष्य जिस प्रकार नदी पर बाँध बना कर पानी को इच्छित दिशा में मोड़ देता है, किन्तु यदि नदी के पानी को बाँध बना कर बंधित न किया जाये तो वह विनाश का कारण बनती है। तनाव भी ऐसा ही है। मनुष्य सदैव किसी-न-किसी उधेड़बुन में रहता है। पुराने समय में भी मनुष्य को तनाव होता था, किन्तु बहुत कम । आधुनिक जीवन शैली निरर्थक तनाव भी उत्पन्न करती है जैसे- स्कूल या ऑफिस समय पर पहुँचने का तनाव, बच्चे की पढ़ाई या परिवरिश का तनाव, उसके भविष्य का तनाव, बस या ट्रेन छूट जाने का तनाव, बॉस का तनाव आदि। मनुष्य अपनी क्षमता या साधन का ध्यान नहीं रखता वह सब कुछ पाना चाहता है, वह हमेशा जीतना चाहता है, बहुत कम समय में थोड़ी सी मेहनत करके सब कुछ, सबसे अधिक प्राप्त कर लेना चाहता है।

                आज के मानव में नकारात्मक प्रवृत्ति भी कूट-कूट कर भरी है, हर समय नुकसान होने के भय से निराशापूर्ण जीवन जीता है। अपनी गुस्सैल एवं चिड़चिड़ेपन से स्वयं तो अपना जीवन दूभर कर देता है अपने आसपास के माहौल को भी प्रभावित करता है। वस्तुतः तनाव हमारे जीवन के “लाभ-हानि खाते" में उधार की प्रविष्टि है। जब मनुष्य अपनी मुश्किलें हल नहीं कर पाता तब वह तनावग्रस्त हो जाता है। ये मुश्किलें वास्तविक ढंग से धैर्यपूर्वक नए-नए तरीकों से खुशी की तलाश करनी चाहिए। थोड़े समय और कम मेहनत में अधिक प्राप्त विचार की न होने के कारण है । अत: मनुष्य को विचारशील होना चाहिए, चिंतन-मनन करना चाहिए, रचनात्मक करने की इच्छा का त्याग करना चाहिए। मनुष्य को अपनी मनोवृत्ति सकारात्मक बनानी चाहिए। मनुष्य का मस्तिष्क बहुत बड़ी भूमि के समान है, वह चाहे तो इसमें खुशी की फसल तैयार करे या तनाव की, यह उसके उपर निर्भर करता है। किन्तु दुर्भाग्य से मनुष्य का यह स्वभाव है, कि अगर वह खुशी के बीज बोने की कोशिश न करे तो तनाव पैदा ही होता है। खुशी यदि खेत में होने वाली फसल है तो तनाव घास-फूस के समान है जो फसल को नुकसान ही पहुँचाता है। ।

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