लॉक डाउन और कमर-तोड़ महँगाई lockdown aur kamar tod mahangai

 

 

लॉक डाउन और  कमर-तोड़ महँगाई

महँगाई देश की एक आर्थिक समस्या ही नहीं है बल्कि इसका प्रभाव कई अन्य समस्याओं को भी जन्म देता है। सारा विश्व महँगाई रूपी दैत्य से पीड़ित है। आजादी के बाद भारत में तीन चीजें हमेशा बढ़ती रही है- भ्रष्टाचार, असमानता और महँगाई। इन तीनों को सगी बहनें माना गया है, जो साथ-साथ बढ़ती हैं। भ्रष्टाचार, कालाबाजारी आदि से महंगाई बढ़ती है। धनी और अधिक धनी और गरीब और अधिक गरीब होते जाते हैं। सब्जी, दाल, फल, अनाज, डीजल, पेट्रोल, मकानों के किराये बेतहाशा बढ़ रहे हैं । वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि का क्रम इतना तीन है, कि दिन-दूना रात-चौगुना बढ़ता है । महँगाई के बहुत से कारण हैं जैसे बढ़ती हुई जनसंख्या, कृषि उत्पादन संबंधी व्यय में वृद्धि, वस्तुओं की आपूर्ति में कमी, मुद्रा प्रसार, प्रशासन में शिथिलता, घाटे का आर्थिक बजट, असंगठित उपभोक्ता, संसाधनों का धीमा विकास, धन का असमान वितरण, जमाखोरी एवं प्राकृतिक कारण।


महँगाई को दूर करने के लिए सरकार को योजनाबद्ध कार्यक्रम बनाने होंगे। किसान को सस्ते मूल्य पर खाद, बीज, कृषि उपकरण आदि उपलब्ध कराने होंगे। जिससे कृषि उत्पादों की कीमत में गिरावट आयेगी। मुद्रा प्रसार को रोकने के लिए घाटे के बजट की व्यवस्था समाप्त करनी होगी। जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए निरंतर प्रयास करने होंगे। शासन-प्रशासन स्तर पर पनप रहे भ्रष्टाचार पर लगाम आवश्यक है। कर्मचारियों की कार्य निष्पादन क्षमता में वृद्धि करना भी जरूरी है। वास्तव में महंगाई एक बेलगाम घोड़ी है जिसकी नाक में नकेल रखना सरकार का ही काम है। लेकिन

हमारा दुर्भाग्य यह है कि सरकारी अधिकारी और नेता मिलकर लूटने का कार्य करने हैं, इसलिए महँगाई सुरसा के मुंह की तरह फैलती जा रही है। इस भीषण समस्या के निदान हेतु दलगत, जातिगत स्वार्थ को छोड़कर एकजुट होना पड़ेगा, इसके खिलाफ संघर्ष करना पड़ेगा।


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