जहाँ चाह वहाँ राह
इस पृथ्वी का सर्वश्रेष्ठ प्राणी मनुष्य है, सबसे अधिक बुद्धिमान, सर्वाधिक शक्तिशाली । मनुष्य के जीवन में इच्छा शक्ति का अत्यधिक महत्व है। इसे दूसरे शब्दों में हम आनंद कहते हैं । मनुष्य को अपनी इच्छा की पूर्ति के परिणामस्वरूप ही आनंद मिलता है। हर व्यवित को अलग-अलग कार्यों में आनंद आता है। किसी को खाने में आनंद आता है, तो किसी को खेल में। कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें दूसरों की सेवा करने, उसे खिलाने में मजा आता है। वास्तव में यदि देखा जाए तो आनंद तभी प्राप्त होता है जब इच्छा की पूर्ति होती है। मनुष्य का मन बहुत चंचल होता है। ये इच्छायें मनमानी भी हो सकती हैं और जीवन-मूल्य से संयमित भी हो सकती हैं । मनुष्य जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य है- सत्य और संतोष की प्राप्ति । जो व्यक्ति सत्य को अपने जीवन में अपना लेता है वह अनेक संघर्ष करता हुआ भी आनंद में रहता है। उसका जीवन स्वाभिमान से भरा रहता है। अपने सम्मान के साथ वह जीवनभर कोई समझौता नहीं करता। वह किसी तुच्छ वस्तु के लिए किसी के सामने अपने हाथ नहीं फैलाता। ऐसे लोग ही समाज में लोगों को रोशनी देते हैं। इनके ही पुण्य-प्रताप से समाज चलता है। माना कि ऐसा सत्यवादी जीवन बड़ा ही दुष्कर होता है, किन्तु असंभव है ऐसा भी नहीं है। यदि कोई व्यक्ति किसी कार्य को करने की ठान ले तो वह स्वमेव ही संभव हो जाता है। जब कोई व्यक्ति सत्य को अपना लेता है, तो राह अपने आप बनने लगती है।