किसी प्राकृतिक दृश्य का वर्णन prakritik drishya

 


किसी प्राकृतिक दृश्य का वर्णन


निबंध - किसी प्राकृतिक दृश्य का वर्णन


प्रकृति ईश्वर की अनुपम कृति है। प्रकृति का पल-पल परिवर्तित रूप हमारे मन में हर्ष एवं उल्लास भर देता है। प्रकृति हमारी सबसे अच्छी संगिनी है। वह हमारे साथ हँसती, हमारे साथ ही रोती है। हम उदास होते हैं तो वह भी उदास हो जाती है, वह अपना सर्वस्व लुटाकर भी मुस्कुराती रहती है। सूर्योदय एवं सूर्यास्त की अनुपम छटा हमारे मन को मोहित कर लेती है। प्रकृति के इन मनोमुग्धकारी दृश्यों को देखकर कौन आत्मविभोर नहीं होगा? ऋतु परिवर्तन प्रकृति की विभिन्न दृश्यावलियाँ हैं। ऐसे ही प्रकृति का एक चमत्कृत रूप जब प्रकृति प्रति पल अपना रूप बदलती है, का दर्शन हमने किया। वह था कन्याकुमारी के सूर्यास्त का नजारा। एक ऐसा प्राकृतिक दृश्य जिसे देखने विश्व के सुदूर देशों से लोग आते हैं और इसे देखकर स्वयं को धन्य समझते हैं। भारत भू के दक्षिण छोर पर स्थित कन्याकुमारी अपने सौंदर्य के लिए विख्यात है। अरब सागर, हिन्दमहासागर, बंगाल की खाड़ी और दूर-दूर तक फैली काली चट्टानें। इन्हीं चट्टानों पर खड़े होकर सूर्यास्त का अद्भुत एवं रोमांचकारी दृश्य देखने का आनंद लिया जा सकता है। पश्चिमी क्षितिज पर धीरे-धीरे नीचे की ओर उतरता हुआ सूर्य स्पष्ट दिखाई देता है । धीरे-धीरे सूर्य के विशाल गोले ने पानी को स्पर्श किया। स्पर्श मात्र से पानी का रंग पीला हो गया। दृश्य देखकर लगा मानों पानी पर स्वर्णिम आभा फैल गई हो। गोले के डूबने की प्रक्रिया प्रारंभ होने और डूबने के क्षणों में जल का रंग प्रतिपल, प्रतिक्षण परिवर्तित होता है। हम अपलक इस अद्भुत नजारे को आँखों के कैमरे में कैद कर रहे थे। सूर्य के गोले के समुद्र में पूर्ण रूप से डूबते ही जल रक्त हो गया। मानों रक्त की धारा बह रही हो। कुछ ही क्षण बीते होंगे कि पूरा समुद्र बैंगनी रंग में बदल गया। हम कुछ समझ पाते तब तक पानी का रंग काला हो गया। हम विवश थे। हमने इस सौन्द्रर्य को देखा, महसूस भी किया किन्तु स्पर्श करने में स्वयं को असमर्थ पाया। वह खूबसूरत दृश्य आज भी हमारे पटल पर अमिट है।

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