यदि मैं शिक्षा मंत्री बनता - निबंध
यदि मैं अपने देश का शिक्षा मंत्री बन जाऊँ तो मैं सबसे पहले शिक्षा को राष्ट्रीय, वैज्ञानिक, कर्मप्रधान तथा सर्व-सुलभ बनाने को प्राथमिकता दूँगा। यह सच है कि भारत की सभी भाषाओं में सर्वाधिक बोली, लिखी व समझी जाने वाली भाषा हिन्दी ही है। परन्तु खेद है, कि अभी तक इसे व्यावहारिक रूप में समुचित स्थान नहीं दिया जा रहा है। कुछ अंग्रेजी पढ़े-लिखे लोग ही अंग्रेजियत बघारते हैं। मैं यदि शिक्षा मंत्री बना तो समस्त देश में प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में उसे दिलवाने का प्रबंध करूँगा। यदि मैं शिक्षा मंत्री बना तो गाँवों की जरूरतों के अनुसार वहीं पर ऐसे शिक्षण एवं प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना करूँगा जो गाँव वासियों को आत्मनिर्भर बनाए। उनके परंपरागत कार्य को आधुनिक तकनीकी से जोड़कर उसे उन्नत करने का प्रयत्न करूँगा जैसे कृषि के लिए उन्नत बीज, खाद निर्माण, वैज्ञानिक तरीके से कृषि उत्पादन, पशुओं की नस्लों को उन्नत करना, बुनाई, घरेलू सामान का निर्माण इत्यादि । इसके लिए गाँधी जी द्वारा स्वीकृत बेसिक शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा दूंगा।
शहरी विद्यार्थियों के लिए भी ऐसी शिक्षा का प्रबंध होगा जो केवल बाबुओं का निर्माण न करे, बल्कि प्रतिभाशाली छात्रों को समुचित शिक्षा सुविधाएँ दे। इस बात का ध्यान रखूगा कि शिक्षा महँगी न हो। स्कूल स्तर की सम्पूर्ण शिक्षा निःशुल्क हो। उस शिक्षा में विज्ञान को प्राथमिकता दी जायेगी। एक शिक्षा मंत्री के रूप में मैंयह भी अनिवार्य कर दूंगा कि प्रत्येक सुशिक्षित डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, अर्थशास्त्री आदि गाँवों में कम-से-कम तीन वर्ष तक कार्य करें। इससे शहर और गाँवों की दूरी कम की जा सकेगी। अध्यापकों और शिक्षकों की मनोवृत्ति को भी बदलना होगा। उन्हें 'समाज में सम्मानित व प्रतिष्ठित करना होगा। मैं अपने शिक्षा मंत्रित्व के कार्यकाल में देश के निर्माता शिक्षकों की सुविधाएँ, उनके वेतनमान, उनकी पदोन्नति में न्याय तथा औचित्य का ध्यान रलूँगा।