वाचन कौशल vachan kaushal bolne ki kala

  

वाचन कौशल -  निबंध

बातचीत करने की कला, उसकी सूझ-बूझ और वाक्पटुता व्यक्ति की शोभा है, उसे आकर्षकहटक बनाता है। श्रेष्ठ वक्ता अपार जन समूह को मुग्ध कर देता है। मित्रों, संबंधियों और समाज व संस्था के बीच सम्मान व स्नेह का पात्र बन जाता है। जो लोग तिल का ताड़ बनाने जैसी बातें करते हैं वे न केवल अपना बल्कि दूसरों का समय भी नष्ट करते हैं। साथ ही श्रोता के धैर्य की परीक्षा ले लेते हैं । विषय से हटकर बोलने वाले, अकारण अपनी बात खींचने के लिए विसंगत मुहावरों व लोकोत्तियों का प्रयोग कर उच्च स्वर में बोलने वाले उबाऊ होते हैं, ऐसे वक्ता से हर कोई दूरी बनाने का प्रयास करता है। श्रेष्ठ व कुशल वाचन के लिए वाणी का अनुशासन, संयम, संतुलन, माधुर्य, स्वर पट्टी आवश्यक होती है। ऐसे गुणों से युक्त वक्ता को लोग अपनी स्मृतियों में रखकर अमरत्व प्रदान कर देते हैं। कम बोलने वाला, सदैव चुप बैठने वाला, परिस्थिति की मांग पर भी प्रतिक्रिया न करने वाले को श्रेष्ठ श्रोता भी नहीं कहा जा सकता। वह अपनी प्रतिभा व अभिव्यक्ति का दमन कर जिंदा लाश की तरह है, अकर्मण्य होता है। अतः वाचन कौशल के लिए वाणी का तप आवश्यक है जिसमें सार्थकता हितकारी, मृदुभाषी होना चाहिए।


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